Sunday, December 25, 2011

किस्सा



प्यार में हारी हुई इस तकदीर का किस्सा
मैं ख़बरों में सुनाऊँ  के इश्तेहार में छापूँ
या रखे रखूं आँखों में उन सतरंगी यादों को
और सोते जागते बस मुस्कुरा के देखूं ?

दिमाग में कुछ ख़याल हैं,
कि तेरी बातें मैं कहूँ तो किसे कहूँ
कि तेरी यादें मैं बाटूँ तो किस से बाटूँ?
खाली दीवार पे भी दिखती है मुझे
तेरी आँखों की शरारत और लबों की मुस्कान
तुझे छू लेने के इस एहसास को मैं कैसे रोकूँ ?

आज कोई शिकायत नहीं है तकदीर से
है तो बस ढेर सारी यादें, और एक अजीब सा खालीपन
ये खालीपन का एहसास बदल दे
रख ले वापस तेरी यादों को, अब मुझे आज़ाद कर दे ||

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