Saturday, November 22, 2008

प्रेम तुम्हारा




तुम्हारा प्रेम ही तो सच्चाई है
बाकी सब एक परछाई है
उस परछाई को देखा करता हूँ।

पर जब थक कर आँखे मूंदता हूँ,
तो बस तुम नज़र आती हो।