Monday, June 22, 2009

याद रखना ...



याद रखना
मेरी मुस्कुराहटों को
भूल के मेरी गलतियाँ
या शिकवे या शिकायतें।
क्या सोचता हूँ दिल में
शायद कभी बता न सका
एक भावनाओं का बाँध बनकर मैं
टूटने से ख़ुद को बचाता ही रहा ।
जो सहारा तुम से मिला है
उसको खोना ही सबसे बड़ा गिला है ॥


डरता हूँ की कहीं तुम्हे भूल न जाऊं
भरोसा नहीं की तुम याद रखोगे
पर जिंदगी की इस नई राह पर
अब अकेले तुझको चलना होगा
अकेले ही तुझे सीखना होगा
अपने आप ही तुझे संभालना होगा॥

मुस्कुरा के जीना तुने सिखाया
मेरे मन ने तुझे अपना बनाया
उस वक्त जो तूं साथ न होता
तो शायद ये मन अब उदास न होता।
तू हमेशा अपने आप पर हँसना
और यूँ ही सबके दिल में उतरना
तेरी आंखों का विश्वास हिम्मत देता है
तेरी बातों में जीने का तरीका मिलता है
अब ख्यालों में सदा तू मेरे साथ चलना ॥

अब मेरे साथ ऐ दोस्त
कभी रात को न जगना
कभी घाट न चलना
और न कभी मेरी बकवास सुनना
बस एक वादे क साथ अब अलविदा करना
कि जब भी याद करना मुस्कुरा के करना॥