पहेली बुझा रहा हूँ एक आजकल
वो नजरें चुराना उसका
और फिर यूँ ही ज़रा सा झाँक के
आँखों के किनारे से
एक हलकी सी मुस्कान लबों पे ले आना ।।
और ये दिल मेरा
एक फुटबॉल की तरह
कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ
बड़ा ही थकाने वाला है खेल ये ।।
एक मज़ा है बेशक
बेकरारी से भरा हुआ
ख्यालों में जो डूबा रहता हूँ मैं
ये बेचैनी और बेखयाली का एहसास
यूँ खाली दिन गुजारने से तो कहीं अच्छा है ।।
वो नजरें चुराना उसका
और फिर यूँ ही ज़रा सा झाँक के
आँखों के किनारे से
एक हलकी सी मुस्कान लबों पे ले आना ।।
और ये दिल मेरा
एक फुटबॉल की तरह
कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ
बड़ा ही थकाने वाला है खेल ये ।।
एक मज़ा है बेशक
बेकरारी से भरा हुआ
ख्यालों में जो डूबा रहता हूँ मैं
ये बेचैनी और बेखयाली का एहसास
यूँ खाली दिन गुजारने से तो कहीं अच्छा है ।।
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