Friday, November 6, 2009

क्यूँ !!?




एक दूर जाने का एहसास क्यूँ ,
नही हो पाई कभी पूरी ये बात क्यूँ ,

नासमझ ,ये दुनिया,
नादान , ये लोग,
मृग-पिपासु, ये मन,
संघर्षमय जीवन,
शायद मैं न समझा , शायद तुम न समझे ,
एक समझौते सी हो गई सारी बात क्यूँ !!

तुझसे दूर रहकर , तेरे साथ चला था ,
मेरे साए से लिपटा, तेरा एहसास चला था ,
आज, चलते हो तुम भी , चलता हूँ मैं भी ,
फिर चलती है हमारे बीच सारी कायनात क्यूँ !!

ख़ामोशी में हमने जो वक्त गुजारा ,
था दूर जब तूफ़ान, कितना करीब था किनारा ,
लग गई थी आँखें,पर जागे  रहे थे दो मन ,
फ़िर पैदा हो गए ये सब हालात क्यूँ !!

खामोश सा वो भय , जो सिर्फ ख्याल ना रहा,
न था कोई जवाब, अनसुलझा फिर क्यूँ ये  सवाल ना रहा,
जिसे कहना चाहा न कभी,
जिसे कह पाये न कभी ,
आख़िर सच हो गई फिर वही बात क्यूँ !!

एक दूर जाने का एहसास क्यूँ ,
नही हो पाई कभी पूरी ये बात क्यूँ !!

Monday, June 22, 2009

याद रखना ...



याद रखना
मेरी मुस्कुराहटों को
भूल के मेरी गलतियाँ
या शिकवे या शिकायतें।
क्या सोचता हूँ दिल में
शायद कभी बता न सका
एक भावनाओं का बाँध बनकर मैं
टूटने से ख़ुद को बचाता ही रहा ।
जो सहारा तुम से मिला है
उसको खोना ही सबसे बड़ा गिला है ॥


डरता हूँ की कहीं तुम्हे भूल न जाऊं
भरोसा नहीं की तुम याद रखोगे
पर जिंदगी की इस नई राह पर
अब अकेले तुझको चलना होगा
अकेले ही तुझे सीखना होगा
अपने आप ही तुझे संभालना होगा॥

मुस्कुरा के जीना तुने सिखाया
मेरे मन ने तुझे अपना बनाया
उस वक्त जो तूं साथ न होता
तो शायद ये मन अब उदास न होता।
तू हमेशा अपने आप पर हँसना
और यूँ ही सबके दिल में उतरना
तेरी आंखों का विश्वास हिम्मत देता है
तेरी बातों में जीने का तरीका मिलता है
अब ख्यालों में सदा तू मेरे साथ चलना ॥

अब मेरे साथ ऐ दोस्त
कभी रात को न जगना
कभी घाट न चलना
और न कभी मेरी बकवास सुनना
बस एक वादे क साथ अब अलविदा करना
कि जब भी याद करना मुस्कुरा के करना॥

Saturday, January 31, 2009

बाईक, मैं और लिम्ब्दी कार्नर

बाईक, मैं और लिम्ब्दी कार्नर
साथ में तुम सभी .

हाथ में चाय
चेहरे पे मुस्कान
और बदन में थकान


फटा हुआ लोअर
पांच दिन की शेव
अनजाने में दी हुई गाली
जेब की कंगाली


वो लड़कियों का झुंड
" आज कल भाव नहीं देता
इसीलिए समोसे खा रही है"
वो ऊंची आवाज़ में गाना
शुरू हो गई महफ़िल
छुपाई थी एक साइकिल


बोरे पर ही सो गया
याद में खो गया
ओए छोटू ! सात स्पेशल,
साला नहीं सुनेगा
अबे ! प्यार से बोल
देख कैसे घूर रहा है .


" एक पल में बीते तीन घंटे"


कभी सोचा है
कितनी श्यामें और हैं बाकी
कहाँ मिलेंगे फिर
आओगे न हर शाम
मिलोगे न हर शाम
कहाँ ?
कोई नहीं है जवाब
सिर्फ अँधेरा !!


नहीं! चिल्लाना नहीं
अभी बाकी है जिंदगी
जी लो इसको अभी
नहीं होंगे यहाँ फिर कभी
बाइक, मैं और लिम्ब्दी कार्नर
साथ में तुम सभी.